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india get ka history, इंडिया गेट का इतिहास: क्यों और कैसे बना दिल्ली का ये शहीद स्मारक
🏛️ इंडिया गेट का इतिहास: क्यों और कैसे बना
अगर आप दिल्ली घूमने जाते हैं,
तो इंडिया गेट देखे बिना आपकी यात्रा अधूरी रहती है।
लाल किले के बाद अगर दिल्ली को किसी जगह से पहचाना जाता है,
तो वह है इंडिया गेट।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है —
इसे क्यों बनाया गया था? किसने बनवाया? और इसमें क्या खास है?
आइए जानते हैं इसकी पूरी कहानी आसान भाषा में।
⚒️ इंडिया गेट कब और कैसे बना
इंडिया गेट का निर्माण 1921 में शुरू हुआ और 1931 में पूरा हुआ।
इसे बनाने में लगभग 10 साल लगे।
इसकी ऊंचाई 137 फुट (लगभग 42 मीटर) है।
इंडिया गेट को बनाने के लिए
राजस्थान के लाल पत्थर (सैंडस्टोन) और
दक्षिण भारत के ग्रेनाइट पत्थर का उपयोग किया गया।
इस स्मारक को बनाने वाले आर्किटेक्ट थे
सर एडविन लुटियन्स (Sir Edwin Lutyens),
जिन्होंने नई दिल्ली का नक्शा भी बनाया था।
जब इंडिया गेट तैयार हुआ,
तो इसके सामने ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम की मूर्ति लगी थी,
जिसे बाद में कोरोनेशन पार्क में हटा दिया गया।
⚔️ इंडिया गेट क्यों बनाया गया था
इंडिया गेट की कहानी पहले विश्व युद्ध (World War I) से जुड़ी है।
उस समय भारत ब्रिटिश हुकूमत के अधीन था।
ब्रिटेन ने भारत के 8 लाख से ज्यादा सैनिकों को
युद्ध में लड़ने भेजा था।
इनमें से करीब 70,000 सैनिक शहीद हो गए थे।
इन शहीदों की याद में ब्रिटिश सरकार ने तय किया
कि एक स्मारक (Memorial) बनाया जाए,
जो उनकी बहादुरी को हमेशा याद रखे।
इसी के लिए इंडिया गेट का निर्माण किया गया।
📜 इंडिया गेट पर लिखे गए नाम
इंडिया गेट की दीवारों पर
13,516 भारतीय और ब्रिटिश सैनिकों के नाम खुदे हुए हैं।
ये वो सैनिक थे जो
पहले विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध (1919) में
शहीद हुए थे।
साल 1931 में वायसराय लॉर्ड इर्विन ने
इंडिया गेट का उद्घाटन किया था।
🇮🇳 आजादी के बाद इंडिया गेट का महत्व
भारत की आजादी के बाद,
इंडिया गेट को देश के शहीदों का प्रतीक माना जाने लगा।
यह हर भारतीय के गर्व और श्रद्धा का स्थल बन गया।
साल 1971 के भारत-पाक युद्ध में
देश के शहीद जवानों की याद में
यहां “अमर जवान ज्योति” स्थापित की गई।
इसमें एक राइफल के ऊपर सैनिक की टोपी रखी गई थी,
और चारों तरफ हमेशा जलती हुई लौ (ज्योति) रहती थी।
यह ज्योति शहीदों के बलिदान का प्रतीक बनी।
🔥 अमर जवान ज्योति अब कहां है
साल 2022 में,
जब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) बनाया गया,
तो अमर जवान ज्योति की लौ को
वहीं स्थानांतरित (शिफ्ट) कर दिया गया।
अब इंडिया गेट के पास ही यह नया स्मारक बना है,
जहां आज़ादी के बाद शहीद हुए सभी सैनिकों के नाम लिखे गए हैं।
🌃 आज का इंडिया गेट
आज इंडिया गेट दिल्ली की पहचान बन चुका है।
दिन हो या रात, यहां देश के कोने-कोने से लोग आते हैं।
रात में जब इंडिया गेट रंगीन लाइटों से जगमगाता है,
तो उसका दृश्य बहुत ही सुंदर और भावुक करने वाला होता है।
यह जगह सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं,
बल्कि देशभक्ति और शहीदों के सम्मान का प्रतीक है।
💬 निष्कर्ष
इंडिया गेट हमें यह सिखाता है
कि आज की आज़ादी और शांति उन वीर जवानों की कुर्बानी से मिली है,
जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया।
जब भी आप इंडिया गेट जाएं,
तो उन शहीदों को जरूर याद करें
जिनकी वजह से आज हम आज़ाद हैं।
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❓ FAQs: इंडिया गेट से जुड़े कुछ आम सवाल
1. इंडिया गेट कहां स्थित है?
नई दिल्ली के राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर।
2. इंडिया गेट कब बनाया गया था?
इसका निर्माण 1921 में शुरू हुआ और 1931 में पूरा हुआ।
3. इंडिया गेट की ऊंचाई कितनी है?
लगभग 137 फुट (42 मीटर)।
4. अमर जवान ज्योति कब लगाई गई थी?
साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद।
5. इंडिया गेट को किसने डिजाइन किया था?
सर एडविन लुटियन्स ने।
